Monday 26 December 2022

टोंटी वाला नल, अगस्त,2022


 टोंटी वाला नल

(नवगीत संग्रह)

नवगीतकार : शिवानंद सिंह सहयोगी

प्रथम संस्करण : अगस्त, 2022, हार्ड बाउंड

ISBN : 978-93-85564-20-8

पृष्ट संख्या : 132 

मूल्य : 300₹ 

Tuesday 17 August 2021


 ISBN 978-93-85564-17-8 

स्मारिका दलेस 
लेखक : डा. अमित धर्मसिंह
प्रकाशक : रचनाकार प्रकाशन (दलित लेखक संघ का उपक्रम)
प्रथम संस्करण : 13 अगस्त, 2021
पृष्ठ : 60 पेपरबैक
मूल्य : 100₹


स्मारिका का स्मरण पक्ष

         दलेस की स्थापना को पच्चीस वर्ष पूरे होने जा रहे थे। इस अवसर पर दलेस की वर्तमान कार्यकारिणी ने इसके स्थापना दिवस को रजत जयंती के रूप में मनाने का निर्णय लिया। दलेस की दसवीं कार्यकारिणी में तय हुआ कि दलेस के पच्चीसवें स्थापना दिवस (15 अगस्त 2021) पर एक कार्यक्रम ऑफलाइन रखा जाए, जिसमें किसी वरिष्ठ दलित साहित्यकार को 'दलेस कीर्ति सम्मान' से सम्मानित किया जाए। इसके लिए चित्रकार चित्रपाल जी को सुयोग्य पाया गया। कार्यक्रम का दूसरा महत्त्वपूर्ण बिंदु कार्यक्रम में दलेस के पच्चीस वर्षीय सफर को केंद्र में रखकर एक स्मारिका तैयार करने का था। यानी, तय हुआ कि दलित लेखक संघ की स्मारिका लिखी व प्रकाशित की जाए और उसे कार्यक्रम में उपस्थित जनों को निःशुल्क वितरित किया जाए। दलेस की त्रैमासिक पत्रिका प्रतिबद्ध के संपादक होने के नाते स्मारिका लिखने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। संयोग से,  स्मारिका प्रकाशित करने का प्रस्ताव कार्यकारिणी के समक्ष मैंने ही रखा था। दरअसल मैंने यह प्रस्ताव इसलिए रखा गया था कि मेरे निजी संज्ञान में मुजफ्फरनगर की वाणी साहित्यिक संस्था जो कि 1975 से कार्य कर रही है, के बाद दलित लेखक संघ दूसरी ऐसी संस्था है जो इतने वर्षों से साहित्यिक व सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि दलेस का सामाजिक और वैचारिक पक्ष तो वाणी तथा अन्य दूसरी संस्थाओं से भी एक दर्जे आगे की चीज है। इसलिए स्मारिका तैयार करना बेहद अनिवार्य लगा। चूंकि दलेस की स्मारिका तैयार करने का मतलब था, दलेस की पच्चीस वर्षीय गतिविधियों को सामने लाना तथा दलेस की वैचारिक प्रतिबद्धता, सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की पक्षधरता को जनसम्मुख रखना; इसलिए स्मारिका के लेखन व प्रकाशन में किसी को कोई आपत्ति न हुई। समस्त कार्यकारिणी ने एक स्वर में स्मारिका का प्रकाशन किया जाना सहर्ष स्वीकार किया। किंतु, स्मारिका के लिए दलेस से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण दस्तवेजों की जरूरत थी, इसलिए तय किया गया कि दलेस के संस्थापक सदस्य डा. कुसुम वियोगी जी से भेंट कर महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए जाएं। इस हेतु मैं, हीरालाल जी, डा. राजकुमारी और रवि जी 15 जुलाई 2021 को डा. कुसुम वियोगी जी से मिलने शाहदरा स्थित उनके आवास पर गए। कुसुम वियोगी जी ने, न सिर्फ दलेस से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध करवाए, बल्कि स्वादिष्ट भोजन भी करवाया; साथ ही अपनी कई रचनाएं सस्वर सुनाकर अपने कवित्त्व रस का भी आस्वादन करवाया। तत्पश्चात, स्मारिका लेखन का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो गया। जिसका सुपरिणाम आज आपके हाथों में है।
         सर्वविदित है कि स्मारिका किसी व्यक्ति, समूह, संस्था या संगठन के एक लंबे सफर, उसके द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण कार्यों तथा उपलब्धियों को तथ्यों और तर्कों के आधार पर दर्ज करती है। यह स्मारिका भी इसका अपवाद नहीं है। स्मारिका में, न केवल दलेस का अभी तक का सफर दर्ज किया गया है अपितु उसकी उपलब्धियों और वैचारिकी को भी तार्किक और तथ्यान्वेषी रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह स्मारिका दलेस का प्रमुख परिचय प्रस्तुत करती है तथा दलेस के पच्चीस वर्षीय लंबे संघर्षमय सफर को संक्षिप्त और सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करती है। आजकल देखने में आ रहा है कि साहित्य में दलित शब्द और दलित साहित्य की अवधारणा और विस्तार में अर्थसंकोच या अर्थविस्तार जैसी स्थिति बन गई है। यह स्थिति बन गई है या कि बनाई जा रही है, इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जहां तक मैं समझता हूं इसके जिम्मेदार दलित और गैर दलित दोनों हैं। गैर दलित तो इसलिए कि वे दलित शब्द और साहित्य को सीमित करके इसके महत्त्व और प्रभाव को संकुचित कर देना चाहते हैं। किंतु दलितों के ऐसा करने के पीछे, या तो उनका अज्ञान छिपा होता है या फिर वे अपनी निजी महत्त्वांक्षाओ का शिकार होने से ऐसा करते हैं। दोनों पक्षों की, दोनों तरह की  गतिविधियां दलित शब्द और दलित साहित्य के अर्थविस्तार को या तो अर्थसंकोच की कारा में धकेल देती हैं, या सुनिश्चित अर्थ और अवधारणा को अनावश्यक विस्तार दे देती है। दलित साहित्य में उत्पन्न इस साहित्यिक और सामाजिक संकट को ध्यान में रखते हुए स्मारिका के आरंभ में दलित शब्द और दलित साहित्य को समझने और समझाने का प्रयास किया गया है; ताकि सुधीजन दलेस की वैचारिकी और कार्यप्रणाली के आलोक में दलित और दलित साहित्य की मूलभावना और मूल विचार का साक्षात कर सके। उक्त दोनों बिंदुओं पर लिखना इसलिए भी अनिवार्य लगा, जिससे कि दलेस की स्थापना की पूर्वपिठिका को समझा जा सके।
          तत्पश्चात, दलेस की स्थापना, स्थापना के मूल कारण, उद्देश्य और इसके संस्थापकों का नामोल्लेख किया गया है। इससे दलेस के आरंभिक स्वरूप को समझने में मदद मिलेगी। दलेस के चौबीस वर्षीय सफर के अंतर्गत दलेस की साहित्यिक और सामाजिक गतिविधियों और उपलब्धियों को संक्षेप में दर्ज किया गया है। इससे दलेस की साहित्यिक और सामाजिक प्रतिबद्धता को समझा जा सकता है। इसी में दलेस के चौबीस वर्षों के संघर्ष और उतार चढ़ाव को देखा व समझा जा सकता है। साथ ही इस दौरान कितनी कार्यकारिणियां अस्तित्व में आईं और उनके कार्यकाल में कौन सी महत्त्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया गया, उसका भी संक्षिप्त ब्योरा इस शीर्षक के अंतर्गत मिलेगा। स्मारिका में अभी तक की तमाम कार्यकारिणियों को उनके सदस्य और कार्यकाल के अनुसार सारणीबद्ध करने का भी प्रयास किया गया है। रजत जयंती की पूर्वपीठीका के साथ स्मारिका में सम्मानित चित्रकार चित्रपाल जी का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है। अंत में, साक्षात्कार के अंतर्गत, दलेस के संरक्षक हीरालाल राजस्थानी जी से डा. गीता कृष्णांगी की बातचीत दी गई है। इससे भी दलेस और दलित साहित्य के बारे में काफी कुछ स्पष्ट हो जाता है।
          उम्मीद है प्रस्तुत स्मारिका अपने उद्देश्य में सफल साबित होगी। संदेह नहीं कि इसकी सफलता में उन सहयोगियों का बड़ा हाथ रहा, जिन्होंने संबंधित दस्तावेज जुटाने में मदद की। डा. कुसुम वियोगी जी के अतिरिक्त इस श्रेय के दूसरे महत्त्वपूर्ण हकदार दलेस के संरक्षक हीरालाल राजस्थानी जी हैं। डा. गीता कृष्णांगी के सतत सहयोग के लिए भी धन्यवाद जिन्होंने मेरे कहने से न सिर्फ हीरालाल जी का साक्षात्कार लिया बल्कि स्मारिका तैयार करने में वांछित सहयोग भी किया। दलेस की वर्तमान कार्यकारिणी का भी मैं शुक्रगुजार हूं जिसके समर्थन ने मुझे, यह महती कार्य करने की ओर प्रेरित किया। 

डा. अमित धर्मसिंह
संपादक एवं कोषाध्यक्ष : प्रतिबद्ध, दलेस
9310044324









Friday 31 January 2020


गीतों की तस्वीर (काव्य संग्रह)
कवि : ब्रजेश्वर सिंह त्यागी
प्रकाशक : रचनाकार प्रकाशन, मुजफ्फरनगर
प्रथम संस्करण : जनवरी, 2020 पेपरबैक
ISBN : 978-93-85564-16-1
पृष्ठ : 104
मूल्य : 100₹

मन लिखी पाती ( काव्य संग्रह) पेपरबैक
कवि ; ब्रजेश्वर सिंह त्यागी
प्रकाशक : रचनाकार प्रकाशन, मुजफ्फरनगर
प्रथम संस्करण : जनवरी, 2020
ISBN : 978-93-85564-15-4
पृष्ठ : 184
मूल्य : 150₹

Sunday 27 January 2019


पुस्तक: नैना थके हमार ( काव्य संग्रह)
कवयित्री: कमलेश कुमारी
ISBN: 978-81-85564-14-7
संस्करण: जनवरी, 2019 पेपरबैक
पृष्ठ: 84
मूल्य: 120₹

पुस्तक: चुन्नू मुन्नू रिंकी पिंकी (बाल गीत संग्रह)
कवयित्री: डॉ वीना गर्ग
प्रथम संस्करण: २०१८ पेपरबैक
ISBN: 978-93-85564-12-3
पृष्ठ: ...
मूल्य: १५०₹

टोंटी वाला नल, अगस्त,2022

 टोंटी वाला नल (नवगीत संग्रह) नवगीतकार : शिवानंद सिंह सहयोगी प्रथम संस्करण : अगस्त, 2022, हार्ड बाउंड ISBN : 978-93-85564-20-8 पृष्ट संख्या ...